कान्हा के प्यार में खर्च करने का बुरा दिन? जन्माष्टमी पर मेवों के दामों में भारी बढ़ोतरी हो रही है, जिसका असर भक्तों के भोग पर पड़ रहा है। धौलपुर के इस सुरमा शहर में चिरौंजी और इलायची के दाम आसमान पर हैं, जिससे भक्तों की छूटी जा रही है।
मेवों के दाम में वृद्धि
जन्माष्टमी त्योहार के आसपास व्रतों और पूजाओं की तैयारियों की गूंथ बढ़ती जा रही है, लेकिन इस बार कुछ विशेष हो रहा है। मेवों के दाम में वृद्धि के कारण भक्तों की टंकी पैसों की कमी हो रही है। खासकर, चिरौंजी और इलायची के दामों में भारी बढ़ोतरी का सामना कर रहे हैं।
चिरौंजी: 1400 रुपए प्रतिकिलो
चिरौंजी, जिसे आमतौर पर भोजन में मेवा के रूप में उपयोग किया जाता है, इस बार 1400 रुपए प्रतिकिलो पर पहुंच गए हैं। यह दाम आसमान पर हैं और भक्तों को निराश कर रहे हैं। चिरौंजी का उपयोग भगवान कृष्ण के भोग के रूप में किया जाता है, और इसकी महंगाई ने भक्तों को चिंतित कर दिया है।
इलायची: 3 हजार रुपए प्रतिकिलो
इलायची, जो भोग में अधिकतर उपयोग होने वाली मेवा है, इस बार करीब 3 हजार रुपए प्रतिकिलो तक पहुंच गई है। इसका मतलब है कि इलायची की कीमत भी बहुत उच्च हो गई है, और यह भक्तों के पैसों को ज्यादा खर्च करने पर मजबूर कर रही है।
मावे: काजू, बादाम, और अखरोट सस्ते हैं
हालांकि चिरौंजी और इलायची के दाम आसमान पर हैं, मावे में काजू, बादाम, और अखरोट के भाव सामान्य बने हुए हैं। यह एक राहत की खबर हो सकती है भक्तों के लिए, जिन्होंने व्रतों के लिए मावे की खरीददारी करनी है।
खरबूजा का बीज: 800 रुपए प्रतिकिलो
जन्माष्टमी त्योहार के लिए प्रसाद तैयार करने के लिए खरबूजा का बीज इस बार 800 रुपए प्रतिकिलो पर बिक रहा है। इसका मतलब है कि प्रसाद बनाने के लिए लोगों को इस साल जेब ढ़ीली करनी पड़ सकती है, क्योंकि खरबूजा के बीज की कीमत भी उच्च हो गई है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव इस बार 7 सितंबर को मनाया जाएगा, और यह त्योहार भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और कान्हा के लिए पाग बनाते हैं, जिसे उनके भोग के रूप में उपयोग किया जाता है। इस बार पाग बनाने के लिए लोगों को पहले के मुताबिक अधिक रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं, क्योंकि मेवों के दाम में वृद्धि के कारण पाग बनाने के लिए उपयोग होने वाले मावे की कीमत भी बढ़ गई है।
खरबूजा का बीज: फुटकर में 800 रुपए, थोक में 700 रुपए
जबकि खरबूजा का बीज फुटकर में आठ सौ रुपए और थोक में सात सौ रुपए मिल रहा है, इसकी कीमत बीते साल के मुकाबले अधिक है। यह दिखाता है कि खरबूजा के बीज के दाम भी बढ़ गए हैं, जिसका असर खरीदारी पर पड़ रहा है।
चिरौंजी: 1450 रुपए प्रतिकिलो
चिरौंजी का मूल्य भी इस बार बढ़ गया है और अब यह 1450 रुपए प्रतिकिलो पर पहुंच गया है। इसका मतलब है कि चिरौंजी की कीमत भी अधिक हो गई है, और इससे भक्तों को आपने पैसों को देने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मखाने: 600 से 700 रुपए प्रतिकिलो
मखानों का मूल्य भी महंगा हो रहा है, और यह 600 से सात सौ रुपए प्रतिकिलो पर बिक रहा है। मखानों का उपयोग भगवान कृष्ण के भोग के रूप में होता है, और इसका मतलब है कि भक्तों को अधिक पैसों को खर्च करने पर मजबूर किया जा रहा है।
छोटी इलायची: 3000 रुपए प्रतिकिलो
इस साल छोटी इलायची की महंगाई भी है, और यह 3000 रुपए प्रतिकिलो में बिक रही है। इसका मतलब है कि छोटी इलायची की कीमत भी बहुत उच्च हो गई है, और इससे भक्तों को इसे खरीदने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
दुकानदारों की बातें
दुकानदारों के अनुसार, मेवों के दाम में वृद्धि के बावजूद लोग खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन कम मात्रा में। यह इस त्योहार के महत्व को दरकिनार करता है, लेकिन भक्तों को थोड़े कम मेवा मिल सकते हैं। लेकिन उनकी श्रद्धा और भावनाओं में कोई कमी नहीं होगी, क्योंकि यह सालभर का त्योहार है।
निष्कर्षण
इस वर्ष के जन्माष्टमी त्योहार में मेवों के दामों में वृद्धि ने भक्तों को परेशानी में डाल दिया है, लेकिन उन्होंने अपनी भक्ति में कमी नहीं की है। वे कान्हा के भक्त हैं और उनकी श्रद्धा अपरम्पार है। इसलिए, मेवों के महंगे होने के बावजूद, वे अपने प्रिय देवता के लिए खर्च करने को तैयार हैं।
कैसे तैयार करें जन्माष्टमी के भोग
इस वर्ष के जन्माष्टमी के भोग को तैयार करते समय, लोगों को थोड़े सवधान और सावधानी से खरीदारी करनी चाहिए। वे अपने बजट के अनुसार मेवों का चयन करें और खरीदारी करें, ताकि उन्हें किसी प्रकार की आर्थिक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। इसके अलावा, वे भगवान कृष्ण के प्यार में डूबे रहें और उनके दिव्य लीलाओं का आनंद लें।
समापन
इस जन्माष्टमी पर, मेवों के दामों की बढ़ोतरी ने भक्तों को चुनौती दी है, लेकिन उनकी आस्था और प्रेम भगवान कृष्ण के प्रति अटूट है। वे इस अद्भुत त्योहार को खुशी और आनंद के साथ मना रहे हैं, और उनकी श्रद्धा उनके दिल की गहराइयों से आती है। जय श्रीकृष्णा!