बागेश्वर की जिलाधिकारी के खिलाफ होगी जांच, भाकपा-माले की शिकायत पर चुनाव आयोग ने दिया आदेश

बागेश्वर की जिलाधिकारी के खिलाफ होगी जांच, भाकपा-माले की शिकायत पर चुनाव आयोग ने दिया आदेश

दिनांक: 8 सितंबर 2023

देहरादून: उत्तराखंड में हुए हाल के उपचुनावों में एक नयी कथा का आरंभ हुआ है, जिसमें भाकपा (माले) ने उत्तराखंड इकाई के माध्यम से बागेश्वर की जिलाधिकारी अनुराधा पाल के खिलाफ आरोप लगाए हैं। इस खिलवाड़ में भाकपा ने चुनाव आयोग से जांच की मांग की है, और चुनाव आयोग ने इस पर आदेश दिया है।

(Image source Twitter.com)

आरोप क्या है?

इस विवाद की शुरुआत बागेश्वर जिले में हुई एक संवाददाता सम्मेलन से हुई थी, जिसे भाकपा (माले) ने आयोजित किया था। इस सम्मेलन के आयोजन के बाद, जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने भाकपा से अनुमति प्राप्त करने के लिए सामग्री प्रशासन को देने की मांग की थी। इसके बजाय, वे पार्टी के द्वारा आयोजित सम्मेलन के लिए हमारे अधिकार पर सवाल उठाने लगीं, जिससे एक नई संघर्ष की शुरुआत हुई।

भाकपा (माले) का दावा

भाकपा (माले) के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने इस मामले पर चर्चा की और बताया, “हमने बागेश्वर की जिलाधिकारी को एक पत्र लिखकर सम्मेलन की सूचना दी थी। उसके बावजूद, जिलाधिकारी ने हमारे साथ समझौते करने की बजाय हमारे अधिकार पर सवाल उठाया।”

उन्होंने इसका सुझाव दिया कि जिलाधिकारी ने चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन किया, क्योंकि उन्होंने सम्मेलन के लिए सामग्री की अनुमति के बजाय हमारे अधिकारों को प्राथमिकता दी।

चुनाव आयोग का निर्णय

इस मामले में भाकपा (माले) ने चुनाव आयोग से जांच की मांग की थी, और आयोग ने उनकी मांग पर ध्यान दिया। चुनाव आयोग ने बागेश्वर की जिलाधिकारी अनुराधा पाल के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं।

जिलाधिकारी की पक्ष से क्या कहा गया

जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने इस मामले में अपने पक्ष को प्रस्तुत करते हुए कहा, “अगर कुछ शर्तें लगाई गईं हैं तो वे चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार हैं और इसमें आयोग की अनुमति भी है।”

बागेश्वर उपचुनाव का महत्व

यह विवाद बागेश्वर उपचुनाव के चलते और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। बागेश्वर उपचुनाव पांच सितंबर को हुआ था, और इसका नतीजा शुक्रवार को आना है। इसे एक अहम चुनौती के रूप में देखा जा रहा है, और इसके परिणाम बागेश्वर जिले के भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं।

निष्कर्ष

इस विवाद से साफ होता है कि चुनावी माहौल में राजनीतिक पार्टियों के बीच मुद्दों का हल खोजने के लिए न्यायिक मार्ग भी चुना जा रहा है। बागेश्वर जिले के उपचुनाव का नतीजा जल्द ही सामने आएगा, और यह देखने के लिए रोमांचक होगा कि कैसे इस विवाद का असर उसके परिणामों पर पड़ेगा।

सावधानी और न्याय

चुनावी माहौल में यह सावधानी और न्याय का संकेत है कि राजनीतिक प्रक्रियाओं को सच्चाई और सही तरीके से आयोजित किया जाए। यह भी दिखाता है कि भारतीय निर्वाचन आयोग के नियमों का पालन कितना महत्वपूर्ण है, और वे इसे बिना किसी पक्षपात के निर्वाचनों को न्यायिक तरीके से आयोजित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

आखिरकार, हम सबको यह सीखने को मिलता है कि चुनौतियों का सामना करने के लिए न्यायिक प्रक्रियाओं का पालन करना और राजनीतिक प्रक्रियाओं को स्वच्छता और पारदर्शिता के साथ आयोजित करना हमारी डेमोक्रेसी के लिए महत्वपूर्ण है।

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