तोड़ दो खुद को ‘भगवान के दर पर इंतजार’ – बच्चों के ऑर्गन डोनर बनने की अपील

तोड़ दो खुद को ‘भगवान के दर पर इंतजार’ – बच्चों के ऑर्गन डोनर बनने की अपील

Image Source bbc.com

आज हम आपको एक कहानी से मिलाएंगे, जो हमें यह सिखाती है कि जीवन के लिए एक छोटे से बच्चे की आवश्यकता कब और कहां हो सकती है। “भगवान के दर पर इंतजार करने वाले” एक छोटे से टॉटलर के माता-पिता ने अब और अधिक बच्चों को ऑर्गन डोनर बनने के लिए एक बेहद डिस्परेट अपील जारी की है।

गोदली पर प्रतीक्षा करते हुए एक वर्ष से ज्यादा समय बिता देने वाली अमेलिया बोल्टर के माता-पिता जोड़ी वूलफोर्ड और उनके संगी रिच बोल्टर ने इसके लिए एक मजबूत आवाज़ बुलंद की है। इसकी कहानी आपको यह सिखाएगी कि छोटे बच्चों के ऑर्गन डोनर बनने की महत्ता क्या है और कैसे हम सभी एक बच्चे के जीवन को बचा सकते हैं।

भगवान के दर पर प्रतीक्षा:
अमेलिया बोल्टर केवल 17 महीने की थी जब उनकी मां ने उन्हें एक संदिग्ध कान की समस्या के लिए जीपी के पास ले जाया। वह बहुत ही दुखी थी क्योंकि उनको बताया गया कि उनकी बेटी “भगवान के दर पर प्रतीक्षा” कर रही है और उसे एक ऑर्गन ट्रांसप्लांट की सूची में डाल दिया गया।

अमेलिया को सुप्रवेंट्रिक्युलर टैकिकार्डिया का डायग्नोसिस लगाया गया, जिसका परिणाम यह होता है कि उसके दिल की धड़कन असामान्य तेज रहती है। उन्होंने पिछले दस महीनों से ग्रेट ऑर्मंड स्ट्रीट हॉस्पिटल में बिना रुके अपने जीवन को जोड़ने वाली मशीन से जुड़ी रही हैं।

माता-पिता की डिस्परेट अपील:
अमेलिया के माता-पिता, जोड़ी वूलफोर्ड (31 वर्ष) और उनके संगी रिच बोल्टर (33 वर्ष), चिपेनहैम, विल्ट्स से हैं, ने एक बेहद महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने अमेलिया को एक उपयुक्त मिलान के लिए दो-साल की पीड़ाने का खतरा है, इस संदेश के साथ एक ऑर्गन डोनर बनने के लिए साइन अप किया है।

जोड़ी ने कहा, “अमेलिया की स्थिति के साथ कठिनाई यह है कि बच्चे के ऑर्गन डोनर मिलना अत्यधिक कठिन है। माता-पिता आमतौर पर ऑर्गन डोनेशन के बारे में जब एक दुर्घटना हो चुकी होती है, तब ही बात करते हैं। उस समय आमतौर पर देर हो जाती है, और वो ऑर्गन अवाइलेबल नहीं होते। इसलिए, हम अब आपको एक निर्णय लेने की सलाह देना चाहते हैं, ताकि उनके बच्चे, अगर कुछ हो जाता है, तो जीवित रह सकें।”

“हम वो लोग नहीं हैं जिनके बच्चे को ऑर्गन ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है, और हम आखिरकार वो लोग भी नहीं होंगे। अगर दुखद तौर पर अमेलिया की मौत हो जाती है, तो हम कोशिश करेंगे कि वह जो कुछ दे सकती है, उसे दूसरों को दे सकें। अमेलिया स्थिर है। उसने कैसे क्रॉल करना और अस्वायत्त चलना सीख लिया है।”

बच्चों के ऑर्गन डोनेशन की महत्वपूर्णता:
इस दुखद स्थिति से बच्चों के ऑर्गन डोनेशन की महत्वपूर्णता क्या है? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, जिसका उत्तर हमें सोचने पर मजबूर करता है। बच्चों के ऑर्गन डोनर बनने का मतलब है कि हम उनके जीवन को बचा सकते हैं, और उन्हें एक नया जीवन दे सकते हैं।

जब हम बच्चों के ऑर्गन डोनेशन के बारे में सोचते हैं, तो हमें एक साचाई से निपटनी पड़ती है कि यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। लेकिन हमें याद दिलाना चाहिए कि यह एक बच्चे के जीवन को बचाने का अद्वितीय अवसर हो सकता है। अमेलिया के माता-पिता की तरह हम सभी को यह जिम्मेदारी ग्रहण करनी चाहिए कि हमारे बच्चे यदि कुछ हो जाता है, तो उनके ऑर्गन्स दूसरों के जीवन को बचा सकते हैं।

कैसे ऑर्गन डोनर बन सकते हैं?
आपके बच्चे को ऑर्गन डोनर बनाने का प्रक्रिया बहुत ही सरल हो सकता है। यह कुछ साधारण चरण हैं:

सच्ची जानकारी प्राप्त करें: अपने बच्चे की स्वास्थ्य का सुरक्षित रखने के लिए अपने चिकित्सक से सलाह लें और उनके स्वास्थ्य के बारे में सच्ची जानकारी प्राप्त करें।

ऑर्गन डोनेशन के लिए रजिस्टर करें: अपने राज्य या देश के ऑर्गन डोनेशन प्राधिकृत संगठन से जुड़कर ऑर्गन डोनर बनें। इससे आपके बच्चे के ऑर्गन्स को आवश्यकता होने पर उपयोग किया जा सकता है।

परिवार के सदस्यों को जागरूक करें: अपने परिवार के सदस्यों को ऑर्गन डोनेशन के महत्व के बारे में जागरूक करें और उन्हें डोनर बनने के लिए प्रोत्साहित करें।

सोशल मीडिया और सार्वजनिक जागरूकता: ऑर्गन डोनेशन के महत्व को सोशल मीडिया और सार्वजनिक माध्यमों के माध्यम से बढ़ावा दें और दूसरों को भी जागरूक करें।

समापन:
“भगवान के दर पर प्रतीक्षा” के समय, हमें बच्चों के ऑर्गन डोनेशन के महत्व को समझने का मौका मिलता है। हम सभी को यह याद दिलाना चाहिए कि हमारे बच्चे के ऑर्गन्स को किसी और के जीवन को बचाने के लिए उपयोग किया जा सकता है, और इससे एक नया जीवन मिल सकता है। आइए हम सभी एक जागरूक समाज बनाने का संकल्प लें, ताकि हमारे बच्चे हमारी आवश्यकता के समय हमारे साथ रह सकें।

आखिर में, हम आपको यह सलाह देते हैं कि आप भी अपने बच्चे को ऑर्गन डोनर बनाने का निर्णय लें और एक नये जीवन को मोहित करने में मदद करें। यह एक ऐसा कदम है जो हम सभी को एक सशक्त और जागरूक समाज की ओर बढ़ने में मदद कर सकता है।

अमेलिया की कहानी हमें यह सिखाती है कि हमारे छोटे बच्चों के ऑर्गन डोनर बनने का मतलब है कि हम उनके जीवन को बचा सकते हैं, और उन्हें एक नया अवसर दे सकते हैं। हम सभी को यह कदम उठाना चाहिए, क्योंकि यह अनमोल जीवन है, और हर छोटे बच्चे का हक है उसे स्वस्थ और सुरक्षित रखने का।

Leave a Comment