घोसी चुनाव परिणाम: बीजेपी की हार के 6 वजहें

घोसी चुनाव परिणाम: बीजेपी की हार के 6 वजहें

(Image source amarujala.com ) घोसी चुनाव परिणाम: बीजेपी की हार के 6 वजहें

घोसी उपचुनाव के परिणामों ने बीजेपी को एक बड़ी हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने बीजेपी के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को 42 हजार से अधिक मतों से हराया। यह हार बीजेपी के लिए कई आश्चर्यजनक कारणों की वजह से हुई है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको घोसी चुनाव में बीजेपी की हार के पीछे के 6 मुख्य कारणों के बारे में विस्तार से बताएंगे।

दारा सिंह को ही प्रत्याशी बनाना:
चुनाव से पहले ही बीजेपी ने दारा सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था। इसके पीछे की अटकलें थीं कि दारा सिंह को विधान परिषद के माध्यम से मंत्री बना दिया जाए और घोसी में किसी नए व्यक्ति को टिकट दिया जाए। यह प्रश्न था कि दारा सिंह को पार्टी में लाने की क्यों जरूरत थी, जब पार्टी ने उनके खिलाफ पिछले चुनाव में लड़ रही थी।

लोकल कार्यकर्ताओं की नाराजगी:
दारा सिंह के बजाय यदि बीजेपी ने घोसी में किसी दूसरे नए चेहरे को टिकट दिया होता, तो शायद चुनाव परिणाम बेहतर होते। बीजेपी के कार्यकर्ताओं के मन में यह सवाल था कि कैसे वह प्रत्याशी के खिलाफ पिछले 16 महीने में प्रचार कर सकते हैं और फिर उसी प्रत्याशी को समर्थन देने के लिए मांग सकते हैं।

उनकी खुद की बिरादरी:
दारा सिंह का बार-बार पार्टी बदलना उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया। वे लगातार पार्टियां बदलते रहे और इससे उनकी स्थानीय लोकप्रियता पर असर पड़ा।

लोकप्रिय नेताओं का असर:
चुनाव प्रचार में बीजेपी ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, पूरी कैबिनेट और संगठन को सक्रिय दिखाया, लेकिन फिर भी हार का सामना करना पड़ा।

राजभर और निषाद का समर्थन:
घोसी में करीब 55 हजार राजभर, 19 हजार निषाद, और 14 हजार कुर्मी मतदाता हैं। बीजेपी ने सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के संजय निषाद का समर्थन प्राप्त करने के लिए कई कदम उठाए, लेकिन चुनाव परिणाम में इसका कोई बड़ा असर नहीं दिखा।

मतदान में कमियां:
एक और मुख्य कारण है कि बीजेपी ने घोसी में हार का सामना किया, वह है मतदान में कमियां। इस बार करीब 58 प्रतिशत मतदान हुआ, जो कि पिछली बार की तुलना में कम था।

समापन:
घोसी चुनाव में बीजेपी की हार के पीछे कई कारण थे, जिनमें प्रत्याशी का चयन, लोकल कार्यकर्ताओं की नाराजगी, और मतदान में कमियां शामिल हैं। इस हार से बीजेपी को सीखने और सुधारने का अवसर मिलेगा, जिससे वह आने वाले चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।

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